मीठे संसार में जीना भी कला: जब मीठे की बात आए तो दिमाग में घंटी बजनी चाहिए- ज्यादा मीठा, ज्यादा मुसीबत
व्यंग्य
भाई साहब, कहते हैं कि जिन्दगी में मिठास होनी चाहिए, लेकिन अगर ये मिठास गुलाब जामुन की शक्ल में दिन-रात प्लेट में हो तो समझिए कि आप सिर्फ जिंदगी में नहीं, डायबिटीज के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहे हैं।
अब हमारी मौसी जी को ही देख लीजिए, वो हर चीज में मिठास ढूंढती हैं। चाय में दो चम्मच चीनी हो या सुबह के पराठे पर छिड़का हुआ शक्कर, बिना मीठा उनकी सुबह नहीं होती। और परिणाम? उनकी सुबह अब इंसुलिन की सुई से होती है।
अब ये मीठे प्रेमियों का एक अलग ही वर्ग होता है। इन्हें लगता है कि ज्यादा मीठा खाने से रिश्ते भी मीठे हो जाते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि रिश्ते तो वही रह जाते हैं, बस वजन और ब्लड शुगर बढ़ जाती है।
मोहल्ले के शर्मा जी तो मिठाई ऐसे खाते हैं, जैसे सुबह-शाम खाना न हो, बल्कि मिठाई ही जिंदगी का उद्देश्य हो। पर अब हालत ये है कि मिठाई देखते ही उनकी बीवी चीनी की तरह पिघलने लगती हैं- गुस्से में।
आपको एक और किस्सा सुनाता हूं, हमारे पड़ोस के वर्मा जी की बेटी की शादी थी। शादी की मिठाइयां इतनी कि जैसे हलवाई ने पूरी शुगर मिल खरीद ली हो। हर गेस्ट को लड्डू के साथ डायबिटीज का फ्री कूपन मिल रहा था।
वहां सब कह रहे थे कि मिठाई खाओ, पर डॉक्टर कह रहे थे, “ज्यादा मीठा खाओगे तो हड्डी-पसली सब टूट जाएगी।” अब क्या कहें, शादी के बाद वर्मा जी का मेडिकल बिल शादी के खर्च से ज्यादा हो गया।
इस मीठे संसार में जीना भी एक कला है। जब कोई मिठाई खाने को कहे तो दिमाग में घंटी बजनी चाहिए, “ज्यादा मीठा, ज्यादा मुसीबत।” फिर भी अगर मिठाई के प्रति मोह छोड़ना मुश्किल हो तो कम से कम अपनी कमर के साइज के बारे में सोचिए। याद रखें, पेट जितना बाहर निकलेगा, वैसे ही डॉक्टर की फीस भी उतनी बढ़ेगी।
तो भाइयों और बहनों, मिठास जिन्दगी में अच्छी है, लेकिन प्लेट में कम ही रखो। वरना मिठाई आपको सीधा डॉक्टर के पास ले जाएगी और आपकी मिठास से डायबिटीज मीठे-मीठे कदमों से आपके जीवन में दाखिल हो जाएगी।